मैं भारद्वाज जी का प्रशंसक होने के उपरांत साखी पर प्रतिक्रिया देने आप की मेल मिलने के बावजूद इसलिए नहीं आया क्योंकि आऊँ तो फिर कोई किराये का गुंडा कह सकता है, ऐसी क्या गरज आन पड़ी की आप यहाँ आ खड़े हुए.
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मैं भारद्वाज जी का प्रशंसक होने के उपरांत साखी पर प्रतिक्रिया देने आप की मेल मिलने के बावजूद इसलिए नहीं आया क्योंकि आऊँ तो फिर कोई किराये का गुंडा कह सकता है, ऐसी क्या गरज आन पड़ी की आप यहाँ आ खड़े हु ए.
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द बैड, एक निर्दयी, भावशून्य और असामाजिक किराये का गुंडा जिसका नाम “एंजेल आइज़” है (सेंटेंज़ा-वाक्य-मूल कहानी व इटैलियन प्रारूप में), जो सदैव उस काम को खत्म करके ही मानता है जिसके लिए उसने कीमत ली हो (यह काम आम तौर पर लोगों को खोजना... और उनकी हत्या करना होता है.)
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साखी पर मुझे उपरोक्त तरीके से सम्मानित करने के बाद वहां 8-9 माह तक व्याप्त सन्नाटे के बाद आपने चन्द्रभान भारद्वाज जी की ग़ज़लें लगाईं, मैं भारद्वाज जी का प्रशंसक होने के उपरांत साखी पर प्रतिक्रिया देने आपकी मेल मिलने के बावजूद इसलिए नहीं आया क्योंकि आऊं तो फिर कोई किराये का गुंडा कह सकता है 'ऐसी क्या गरज आन पड़ी कि आप यहां आ खड़े हुए ।'